मालिक ने निकाला, 36 घंटे पैदल चलकर लुधियाना से अंबाला पहुंचा परिवार

 चंडीगढ़
अपने परिवार के साथ लवकुश (बाएं)
हाथ जोड़े खड़े गोरखपुर के रहने वाले लवकुश लुधियाना (पंजाब) में लोहे की फैक्टरी में इलेक्ट्रिशियन का काम करते थे। लॉकडाउन के बाद मालिक ने फैक्टरी में ताला लगा दिया और सभी मजदूरों को निकाल दिया। ऐसे में लवकुश पूरे परिवार के साथ सड़क पर आ गए। एक-दो दिन किसी तरह गुजारा किया लेकिन जब संकट बढ़ गया तो अपने घर गोरखपुर जाने की सोची। 1135 किलोमीटर दूर घर जाने के लिए जब कोई साधन नहीं मिला तो लवकुश पूरे परिवार को साथ लेकर पैदल ही निकल पड़े।

लवकुश शुक्रवार रात करीब 9 बजे पूरे परिवार के साथ पैदल ही लुधियाना से निकले और करीब 24 घंटे का सफर तय करने के बाद वह चंडीगढ़ के हल्लोमाजरा पहुंचे। यहां उनके गांव के कुछ और लोग रहते हैं। काम बंद होने की वजह से वह भी किराया देने में असमर्थ थे तो मकान मालिक बार-बार परेशान कर रहा था। ऐसे में वह लोग भी लवकुश के साथ पैदल चल पड़े।

कुल 15 लोग शनिवार रात करीब 11 बजे पैदल ही अंबाला के लिए निकले और अगले दिन सुबह अंबाला पहुंचने से पहले सब्जी लेकर जा रहे एक ट्रक  चालक ने उन्हें सहारा दिया और पूरे परिवार को दिल्ली के बाहर छोड़ दिया। इसके बाद पैदल यात्रा फिर शुरू हो गई और यह लोग किसी तरह धौला कुंआ पहुंचे और कई घंटे इंतजार करने के बाद उन्हें लखनऊ के लिए बस मिल गई। खबर लिखे जाने तक लवकुश का परिवार लखनऊ पहुंचने वाला था। लवकुश ने बताया कि अभी यात्रा खत्म नहीं हुई है। लखनऊ से आगे कैसे जाएंगे, यह भी भगवान भरोसे है।

मालिकों की बेरुखी से आहत हैं मजदूर
मजदूरों के पलायन के पीछे मकान मालिकों और ठेकेदारों की बेरुखी बड़ी वजह है। 21 दिन के लॉकडाउन के बाद मालिकों ने राशन आदि देने से इंकार कर दिया, जिसके बाद मजदूरों के पास अपने गांव जाने के सिवा और कोई रास्ता नहीं बचा। ठेकेदारों और मकान मालिकों की यह बेरुखी बिहार व उत्तर प्रदेश से आए सभी मजदूरों के साथ है। ऐसे समय में जब मालिकों को इन मजदूरों का साथ देना चाहिए था, तो उन लोगों ने अपने हाथ खींच लिए।

राजस्थान के लिए निकले भूर सिंह, बोले- पत्नी-बच्चे अकेले हैं, घर जाने दो साहब

लॉकडाउन मजदूर वर्ग पर बहुत भारी पड़ रहा है। मजदूर भारी संख्या में परिवार के साथ अपने गांवों की ओर पलायन कर रहे है। इनमें ज्यादातर मजदूर निर्माण क्षेत्र से जुड़े हैं। रेल, बस सार्वजनिक और निजी परिवहन सेवा बंद होने से ये मजदूर पैदल ही परिवार के साथ अपने पैतृक गांवों की ओर निकल पड़े हैं। मजदूरों का पलायन प्रधानमंत्री की घोषणा के अगले दिन से ही शुरू हो गया लेकिन चंडीगढ़ प्रशासन को इन मजदूरों का ध्यान रविवार को आया। मुल्लांपुर स्थित ओमैक्स में मार्बल का काम करने वाले भूर सिंह भी अपने भाइयों के साथ राजस्थान के करौली के लिए पैदल निकले हैं। उन्हें न रास्ता पता है, न ही यह कि कितने दिन लगेंगे लेकिन परिवार के पास पहुंचने के लिए वह सबकुछ सहने के लिए तैयार हैं।

राजस्थान के लिए निकले लोगों से ने कहा…
राजस्थान कैसे जाएंगे, पता नहीं गांव में पत्नी-बच्चे अकेले हैं। यहां पर काम बंद हैं। जो पैसे थे, वो लगभग खत्म हो गए हैं। गांव न जाएं, तो कहां जाएं। हम सभी मुल्लांपुर से पैदल निकले हैं और राजस्थान के करौली जाना है। अभी पता नहीं कैसे जाएंगे।
– भूर सिंह, मजदूर

मुल्लांपुर में ही काम करने वाले करीब 11 लोग भी दो दिन पहले पैदल ही निकले थे। वह पैदल ही चले लेकिन उन्हें रास्ते में मदद मिल गई और किसी तरह घर पहुंच गए हैं। उनसे ही हमें हिम्मत मिली और फिर घर जाने के लिए निकले हैं। – देव सिंह, मजदूर

550 किमी है, किसी न किसी तरह पहुंच ही जाएंगे काम चल नहीं रहा है तो यहां रह कर क्या करेंगे। परिवार भी अकेला है, हमे भले ही दिक्कत होगी लेकिन किसी तरह घर तो पहुंच जाएंगे। हम नहीं चाहते कि इस मुश्किल की घड़ी में परिवार को अकेला छोड़ दें। 550 किमी है दूर है घर लेकिन किसी न किसी तरह पहुंच ही जाएंगे।
– पूरन सिंह, मजदूर

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